सामाएल आउन वियोर
नोस्टिक एंथ्रोपोलॉजी के जनक
प्रिय पाठक:
उस महान जीव की शक्ति और महिमा, जिसका पवित्र और अनन्त नाम सामाएल आउन वियोर है; वह अंधकार में प्रकाश के रूप में हमारे पास आये। उनके नाम का गोपनीय अथवा काबालिस्टिक अर्थ है: ‘शब्द और ईश्वर का न्याय'। बीसवीं सदी की शुरुवात में, संसार में चल रहे कठोर युद्ध के बीच इस महान आत्मा का ६ मार्च, १९१७ (6 मार्च, 1917) को अवतार हुआ।
उन दिनों में जब यूरोप युद्धभूमि पर खून बहा रहा था, तब उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका में समाज, धर्म और गृहविद्या के बीच धर्मशास्त्र की दृष्टि से संघर्ष कर रहा था, और उनका झुकाव गृहविद्या की ओर था| कई व्यक्तित्व जिन्होनें मानवता को अस्तित्व (बीईंग) के रास्तों की ओर, वास्तविकता की ओर, स्थिरता की ओर आकर्षित करने की कोशिश की, वह उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका में यात्रा कर रहे थे| उन शोधकर्ताओं, लेखकों, महात्माओं के उस समुद्र की विशालता के बीच, मैडम ब्लेवत्स्की जो आध्यात्मिक विज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी थी, वह उस समय सबसे अलग दिखी, जिसके चारों तरफ हेर्मेटिसिस्म के विशाल समुद्र में कृष्णमूर्ति, रुडोल्फ स्टैनर और उनके नृविज्ञान, चार्ल्स वेबस्टर, लीडबीटर और उन्ही के समानांतर, कोकेशियन चरित्र के गुर्जिफ के नाम से संसार में जाने वाले दार्शनिक भी विचार कर रहे थे। ये सभी जीव हमारे समाज को यह समझाने में संघर्ष कर रहे थे की बाहरी और आंतरिक घटनाओं की जड़ में जाना ज़रूरी है जो हमें हमेशा घेरे रखती हैं। हमेशा अपने कार्य-कारण को खोजने की कोशिश करने के लिए और अपनी परम आंतरिक ऊर्जा को स्पष्ट रूप से जानने के लिए, जिसे हर्मेटिक अध्ययन ने हमेशा हमारा अपरिवर्तनीय सत्य कहा है, हमारे प्रत्येक ईश्वर का अंश, दूसरे शब्दों में हमारे परम आंतरिक अस्तित्व (बीईंग)।
इन गूढ़ पहलुओं के हिमस्खलन के साथ-साथ, यहाँ वहां कुछ तथा-कथित गुप्त समितियाँ मौजूद थी जिन्होनें खुद को मंदिर के प्राचीन शूरवीरों के वंशज का नाम दिया, और प्राचीन रोसिक्यूरियन एवं फ्रीमेसन की पोशाकों से आवरण किया, उन शाश्वत सत्य के पुनर्जागरण के प्रयासों से प्रकट हुऐ जब वैलेन्टिन एंड्रिया ने वर्ष १६०० (1600) में रहस्यमय दुस्साहसी के ऊपर पुस्तिका प्रकाशित की। समान रूप से, इन सभी प्रवृतियों से प्रयत्न करते हुए फ्रांस में एलन कारडेक नामक श्रेष्ठ पुरुष उभरे, जिन्होंने उस समय लोगों को मृतकों के साथ संवाद करने की संभावना दिखाई और इस प्रकार उन्होंने "आत्माओं की पुस्तक" लिखी। कारडेक के पास उनकी सर्वश्रेष्ट प्रतिपादक थी, एमेलिया डोमिंगो सोलेर नामक एक दक्षिण अमेरिकी महिला जिन्होनें अध्यात्मवाद की अद्भुत घटनाओं को बहुत गंभीरता से लिया व कई पुस्तकें सत्य और मरनोपरांत जीवन के भ्रम के बारे में लिखीं। प्रिय पाठक, यह संपूर्ण चित्रमाला अमेरिकी और यूरोपीय नागरिकों के वातावरण में प्रचलित थी। परन्तु, हमेशा सब कुछ मान्यताओं एवं सिद्धांतों के क्षेत्र में ही समाप्त हो जाता था। वास्तव में कदाचित ही मानव जाति को सच्चे हर्मेटिक मार्ग की खोज हुई है जो मनुष्य को अनन्त के द्वार तक ले जाने में सक्षम है।
जब युवा विक्टर मैनुअल गोमेज़ रोड्रिगेज ( वह बाद में आदरणीय मास्टर सामाएल आउन वियोर के नाम से जाने जायेंगे) ने अपने बालपन के दौरान पहले कदम उठाने शुरू कर दिए थे, वह खुद हमें बताते है कि वो पूरी तरह से इस बात से जागरुक थे की एक बार फिर से भाग्य की शक्ति उन्हें इस तीन आयामी दुनिया में ले आयी है, और वो हमें उन अनगिनत अद्भुत घटनाओं के बारे में भी बताते हैं जो उन्होनें अपनी निविदा आयु में अनुभव किये, जैसे कि आत्मा का शरीर को त्यागते हुए देखना जब लोग निद्रावस्था में होते थे, या वह स्वस्थ रीति जो उन्होंने अपने मित्रों के साथ सांझी थी - दीवार के सामने बैठकर और उस पर बिना पलक झपकाये अपनी आंखें केन्द्रित करना जिससे प्रकृति के तात्विक प्राणियों को देख पाये अर्थात्, वृक्षों, जीव जन्तुओं के मूलतत्त्व या आत्मा एवं आत्मिक श्वास जो चारो तत्वों - वायु, अग्नि, पृथ्वी और जल - को जीवित करती है, आदि।
युवावस्था में, उस बोधिसत्व ने - जो उस समय स्खलित थे - उन सभी विद्यालयों के माध्यम से अपनी यात्रा शुरू की जो अतिरिक्त संवेदी के बारे में बताते थे। इस प्रकार, सिर्फ ग्यारह वर्ष की आयु में ही उन्होंने अध्यात्मवाद और उसकी घटनाओं को जान लिया था, इसके अलावा अठारह वर्ष की उम्र में उन्होंने ब्रह्मविद्या के समुदाय (थियोसोफिकल सोसाइटी) के प्रतिनिधि के रूप में अपना डिप्लोमा भी प्राप्त किया और इसके पश्चात् उन्होंने रोजीक्रूशन बंधुत्व का अनुभव किया जो उस समय डॉ अर्नोल्ड क्रुम-हेलर (आदरणीय मास्टर वीराकोचा) की अध्यक्षता में थी।
परन्तु, वह युवा शोधकर्त्ता व्यर्थ बौद्धिकता से थक कर खुद को ध्यान की ओर आत्मसमर्पित करना पसंद किया और यह मार्ग उन्हें उनके परम पुनीत ऑन वियोर से सीधे संपर्क में लाया, उनके विशेष आत्मन, हिंदुस्तानियों के अनुसार, या अन्तरंग (इंटिमेट), ब्रह्मविद्यावादीयों (थियोसोफिस्टों) के अनुसार।
अब तक उन्होंने अपने महान आंतरिक वास्तविकता के एक अंश के साथ सीधा संपर्क प्रमाणित कर लिया था, इस महानुभाव ने उन किताबों को लिखना शुरू किया जो सूक्ष्म शरीर में यात्रा करने की संभावना एवं भौतिक जीव को चौथे आयाम में ले जाने की संभावना बताती है। वह घटनायें जिन्हें जिन्न स्थिति में यात्रा करना कहा जाता है। प्रिय पाठक, यह सब उन अभ्यासों के साथ था जिन्हें रुचि रखनेवाले कर सकते थे, जिससे उनकी शिक्षाओं की सत्यता परख सकते थे। इस प्रकार उनका सफ़र शुरू हुआ जिनको बाद में वैध पवित्र बन्धुत्व द्वारा “कुंभ युग के अवतार” के नाम से बुलाया जाएगा। वैध पवित्र बन्धुत्व का अभयारण्य अंतरिक्ष के उच्च आयामों में है और जिस पर प्रत्येक व्यक्ति अपने आत्मिक वाहनों का उपयोग करके जा सकता है, जिसे इन अध्ययनों में "सूक्ष्म शरीर" कहा है।
अपनी अविश्वसनीय शिक्षाओं को प्रमाणित करने के लिए, इस नायक (हैरोफ़न्ट) ने उन्हें नोस्टिसिस्म (Gnosticism) के नाम से बुलाने का फैसला किया क्योंकि वास्तव में यह हमेशा से ही जन समुदाय को वह ज्ञान प्रकाशित करने का प्रयास था जिसने महान संस्कृतियों और सभ्यताओं को शिक्षा दी और जो गुरुओं के गुरु आदरणीय मास्टर अबेरामेन्थो (जिन्हें नाज़ेरत के जीसस) के नाम से अधिक जाना जाता है - के प्रकट होने से पहले से था। हाँ, प्रिय पाठक, नोसिस ईसाई-पूर्व काल में पहले से ही मौजूद था यद्यपि यह संकल्पपूर्वक कुछ कट्टर धर्मों द्वारा छिपाया गया था, जिन्होनें खुद को अधिकृत घोषित किया और बाद में वे वास्तविक शिक्षाओं के उत्पीड़क बन गए थे। यहाँ तक कि स्वयं यीशु (जीसस) उन शिक्षाओं का उपदेश देने आये जब वह इस दुनिया से गमन कर रहे थे।
सभी तक अपनी शिक्षाओं को पहुँचाने के लिए आदरणीय मास्टर आउन वियोर ने इन शिक्षाओं का भुगतान करने की अनुमति नहीं दी थी क्यूंकि उनका कहना था " मैं उस पर क्यों मोल लगाऊं जो मुझे दिव्यता ने निःशुल्क दिया है?"। इसने उनको कई गुप्त मिथ्या-संस्थाओं से अलग कर दिया था जो हमेशा हेर्मेटिक (hermetic) ज्ञान को एक तरह के सार्वजनिक व्यापार में बदल देते थे।
सबसे साहसी कार्यों में से एक जिसमें आदरणीय मास्टर आउन वियोर ने खुद को समर्पित किया, वह कोई और नहीं बल्कि महान आर्कनम ए. ज़ेड. एफ. का रहस्योद्घाटन करना था। उत्कृष्ट पाठक, यह आर्कनम महान पवित्र बन्धुत्व द्वारा बड़े उत्साह से अनन्तकाल तक सुरक्षित रखा गया था और उन्होनें केवल मास्टर ऑन वियोर को इस मानव मोचन की कुंजी को सार्वजनिक करने की अनुमति दी... जिसमे था आंतरिक परिवर्तन का महान रहस्य!!!
इस कुंजी के माध्यम से, पुरुष और महिला सच्चे प्रेम की शक्ति से संयुक्त होकर अपनी आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करते हैं, जो सदियों से निद्रावस्था में है, और आत्माओं के लोक से जुड़ते है, जिस से वे वास्तव में जान सकते है कि कौन है ईश्वर, कैसे है ईश्वर, कैसे इन देवदूतों को जानना संभव है, आदि। यह कुंजी को इस महान गुरु ने अपने पहले लेखनों में से एक में प्रकाशित किया था जिसको उन्होंने दीक्षा का प्रवेश द्वार का नाम दिया और जिसे बाद में परिपूर्ण विवाह के नाम से फिर से सम्पादित किया गया।
निस्संदेह, महान आर्कनम के अनावरण ने आध्यात्मिकता के क्षेत्र में और स्थापित अधिकृत धर्मों में एक पूरी क्रांति उत्तेजित कर दी थी लेकिन उन्होनें उनको जल्द ही अनैतिक घोषित किया जो इतिहास में पहली बार हरमेस ट्रिस्मेगिस्तुस (Hermes Trismegistus) के रहस्य का अनावरण कर रहे थे ताकि दिव्य राज्य तक पहुँचा जा सके।
जब इस बोधिसत्व ने अपनी पुजारिन पत्नी के साथ अल्केमी (Alchemy) का सिक्रेतुम सेक्रेटोरुम (secretum secretorum) यौन तंत्र का अभ्यास करना शुरू किया, तब उन्होंने अपने उन सारे आध्यात्मिक कार्य प्रणालियों को जाग्रत किया जो उनके स्वयं शरीर रचना विज्ञान में मनोगत थी और इससे वह उस सर्वोच्च वास्तविकता से जुड़ गये जिससे वह प्रकट हुए थे इस ब्रह्मांड के प्रारंभ के दौरान। धैर्यवान पाठक, हम उस संबंध के बारे में बात कर रहे हैं जो उन्होनें अपने परम आंतरिक अस्तित्व (बीइंग) के साथ स्थापित किया था और उस मानव आत्मा को “ऑन वियोर” कहा जाता है। इस "महान बीइंग" का नाम समाइल के अलावा अन्य और कोई नहीं है, जिनके उत्तरदायित्व में मंगल ग्रह की राज-प्रतिनिधित्व है, (उसके लोगोस के रूप में) और उस नैतिक शक्ति को नियंत्रण में रखना जो प्रकृति में भूकंप और ज्वालामुखी उत्पन्न करती हैं।
२७ अक्टूबर १९५४ (27 अक्टूबर, 1954) को उस मंगल की नैतिक शक्ति के साथ यह मिलन “सुम्मम सुप्रीमम संकटुअरियम” के भीतर हुआ जो सिएरा नेवडा दे सांता मरता नामक पर्वतमाला के आंतरिक भाग में स्थापित ("कोलंबिया, दक्षिण अमेरिका") था।
पहले से ही समाएल से संयुक्त होकर, उस बोधिसत्व ने एक ऐसी अत्यधिक श्रेष्ठ विषय-वस्तु का विकास करना शुरू किया जो उन्होंने प्रारंभ में सिद्धांत के तौर पर क्रिसमस संदेशो के रूप में वर्णित किया। हर साल के अंत में वह एक नया संदेश प्रदान करते थे उन लोगो के लिए जिन्होनें उसका हिस्सा बनना शुरू किया, जिसको इस विद्वान ने विश्व की मुक्ति सेना कहना आरम्भ किया।
उस समय में, इसके साथ ही आदरणीय मास्टर सामाएल ऑन वियोर ने वह प्रकाशित किया जो उनकी शिक्षा का संश्लेषण होगा, अर्थात्, तीन कारण जो उन आत्माओं में चेतना की क्रांति को उत्तेजित करेंगे जो उनका अभ्यास करेंगे। उन तीन कारणों का क्रम इस प्रकार स्थापित किया गया था:
१. मरना - जो कुछ संसारिक और मायावी है
२. निर्माण - आर्कनम ऐ. ज़ेड. एफ. का अभ्यास
३. मानवता के लिए बलिदान - प्यासे को पानी पिलाना, भूखे को खाना खिलाना जो अपरिचित है उसे जो नहीं जानता उसे सिखाना, आदि।
तब से उनके कार्यों को आदरणीय मास्टर सामाएल आउनवियोर नाम के तहत प्रकाशित किया जाने लगा। हम कह सकते हैं, प्रिय पाठक, कि कुंभ के इस नए युग अवतार का सिद्धांत जो ४ फरवरी १९६२ (4 फरवरी ,1962) को शुरू हुआ था, अत्यंत व्यापक है। जिसकी शुरुआत पचहत्तर से अधिक आलेखों के साथ हुई है जो पहले से ही हमारी अनेक भाषाओं में प्रकाशित थे। जब तक हम “पाँचवाँ धर्म सिद्धांत” (Fifth Gospel) के रूप में बपतिस्मा नहीं लेते, जो की प्राध्यापक पद के संकलन से अधिक कुछ भी नहीं है, जिसे उन्होंने निर्धारित किया जब वो कोलंबिया में स्थापित थे और बाद में मैक्सिकन राजधानी में स्थापित किया। ये सभी व्याख्यान सत्तामूलक, दार्शनिक, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुमूल्यवान हैं। उनके अंतिम लिखित कार्य “पीसतीस सोफिया” (Pistis Sophia) का अनावरण करना था, जिसे अक्सर “नोस्टिक बाइबिल” (Gnostic Bible) कहा जाता है - एक ऐसा आलेख जिसमें नासरत के यीशु (ईसा or जीजस) ने अपने पुनरुत्थान के बाद ग्यारह वर्षों के दौरान बारह प्रेरितों को निर्देशित किया।
पूर्णतः किसी ने भी इस प्रकार के कार्य का रहस्योद्घाटन नहीं किया, चूंकि जिस भाषा में नाजरीन अपने शिष्यों के साथ बात करते थे वह पूरी तरह से कबालिस्टिक थी और केवल वह बीइंग जिसने प्रबुद्ध विवेक के संकाय को जगाया हो, वह ही उसे समझ और सामान्य मनुष्यों को समझा सकते थे….वह अकथनीय वास्तविकता है।
ऊपर वर्णित कारणों की वजह से हम जो आज नोसिस एवं समाएलियन-ग्नोस्टिसिस्म (Samaelean Gnosticism) को प्रेम करते है, इस लोगोस-मनुष्य (logos-man) या अनन्त आत्म बोध इकाई के चरणों में प्रणाम करते हैं ताकि हम उनके नक़्शेकदम पर चल सके। सदा आभारी उस प्रकाश के मार्ग के लिए जो वह हमारे लिए छोड़ गए ताकि हम उस महान रहस्य को गहराई से जान सके जिसको हम ईश्वर बुलाते रहेंगे।
ओरेमुस…(Oremus)